पीपीई किट पहनने के बाद 8-8 घंटे बिना खाए-पीए रह रहे डॉक्टर, घर जाकर भी खुद को कर रहे आइसोलेट


गुरुग्राम. पूरे विश्व में महामारी बन चुके कोरोना से आज हर कोई डरा हुआ है। इस डर के माहौल में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। हालत ये है कि इलाज करते हुए वे 8-8 घंटे बिना खाए-पीए रहते हैं। घर जाते हैं तो अपने आप को आइसोलेट रखते हैं, परिवार से दूरी बनाकर रखते हैं। गुरुग्राम में 5 कोरोना मरीजों को ठीक करके घर भेज चुके फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनॉलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर मनीष गोयल ने दैनिक भास्कर प्लस के साथ अपना अनुभव शेयर किया।


सवालः कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है तो कैसे ठीक हुए पेशंट?
डॉ. मनीष गोयलः 
कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं है, लेकिन वायरस से लड़ने वाली कुछ दवाइयां हैं। कुछ पेशंट की सिचुएशन देखकर इलाज करना पड़ता है। कुछ पेशंट जिन्हें सामान्य खांसी, जुकाम व बुखार होता है तो उन्हें सामान्य एंटीबायोटिक व कुछ एंटीवायरस दिए जाते हैं। क्रिटिकल कंडीशन में मरीजों को वेंटीलेटर व डायलिसिस की जरूरत होती है। गुड़गांव में डॉक्टर ने 10 में से 9 पॉजिटिव पेशंट को ठीक कर बेहतर काम कर दिखाया है। 


सवालः इलाज के बाद वायरस का खतरा रहता है तो कैसे बचाव करते हैं?
डॉ. मनीष गोयलः
 इलाज करते हुए डॉक्टर, पैरामेडिकल,नर्स और टेक्निकल स्टाफ पीड़ित के संपर्क में रहते हैं। संपर्क में रहते हुए पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) का इस्तेमाल करते हैं। इस किट को पूरे दिन पहनना पड़ता है। इस दौरान डॉक्टर कुछ भी खाते पीते नहीं है। यहां तक ही वॉशरूम भी नहीं जा सकते। घर जाने के बाद खुद को आइसोलेट करना पड़ता है। घर में अलग कमरे में रहकर अलग बर्तन और कपड़े आदि धोने पड़ते हैं। परिवार से भी कम से कम दो मीटर की दूरी बनाकर रखनी पड़ती है।



सवालः इलाज के दौरान कितने लोगों की टीम करती है काम?
डॉ. मनीष गोयलः 
पेशंट के इलाज में टेक्निकल स्टाफ, डायटिशियन, मेडिकल स्टाफ, नर्स आदि होते हैं। पीड़ित की बॉडी में ऑक्सीजन इनपुट का बहुत ध्यान रखा जाता है। सबसे अहम रोल डायटिशियन का होता है। डायटिशियन पीड़ित की स्थिति के अनुसार ही उन्हें खाना खाने की सलाह देते हैं।


सवालः क्या कोरोना वायरस का इलाज संभव है?
डॉ. मनीष गोयलः
 कोरोना पीड़ित की पहचान यदि समय रहते हो जाती है और पीड़ित को समय से इलाज मिल जाए तो, इलाज पूरी तरह संभव है। हाई ग्रेड बुखार, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत होना कोरोना के लक्षण है। एक-एक करके सभी का इलाज करना होता है। सांस न आने पर वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ता है।   


सवालः पेशंट को कब तक नहीं किया जाता डिस्चार्ज?
डॉ. मनीष गोयलः
 मेडिकल गाइडलाइन के अनुसार इलाज पूरा होने के बाद पीड़ित के 24 घंटे के अंतराल पर दो कोरोना वायरस टेस्ट किए जाते हैं। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव मिलने और अगले तीन दिन तक मरीज में कोरोना के लक्षण नहीं मिलने व छाती के एक्स-रे की रिपोर्ट सामान्य मिलने पर ही पेशंट डिस्चार्ज किया जाता है। इसके बावजूद अगले 14 दिनों तक उन्हें घर में ही क्वारेंटाइन रहने की सलाह दी जाती है।


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